सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) भारत की अर्थव्यवस्था का एक ज़रूरी हिस्सा है। ये उद्यम उत्पादों और सेवाओं की आपूर्ति श्रृंखला में ज़रूरी भूमिका निभाते हैं। एमएसएमई रोज़गार के प्रमुख स्रोत हैं और ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में रोज़गार और औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देते हैं। अगस्त 2021 तक के आधिकारिक आँकड़े बताते हैं की भारत में करीब 6.3 करोड़ एमएसएमई हैं, जो करोड़ों श्रमिकों को रोज़गार प्रदान करते हैं।
आइए इस लेख में, हम एमएसएमई के महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं।
एमएसएमई क्या है?
एमएसएमई का पूरा नाम सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम है। यह वो छोटे और मध्यम स्तर के व्यवसाय होते हैं जिनका प्रबंधन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार, द्वारा किया जाता है। ये भारत की अर्थव्यवस्था में ज़रूरी योगदान करते हैं, क्योंकि ये न सिर्फ़ रोज़गार के अवसर पैदा करते हैं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों के कारक हैं। एमएसएमई न सिर्फ़ उद्यमियों को व्यापार बढ़ाने का अवसर प्रदान करते हैं बल्कि देश के आर्थिक विकास में भी ज़रूरी भूमिका निभाते हैं। ये विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि विनिर्माण, सेवाएं और व्यापार में काम करते हैं और देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में ज़रूरी योगदान देते हैं।
सरल शब्दों में कहें तो, एमएसएमई वे छोटे व्यवसाय हैं जो देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाने में ज़रूरी भूमिका निभाते हैं।
एमएसएमई की नई परिभाषा
एमएसएमई की नई परिभाषा के अनुसार, विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के उद्योगों के लिए निवेश की राशि और वार्षिक टर्नओवर समान कर दिया गया है। इससे अब इन दोनों क्षेत्रों के बीच का अंतर ख़त्म हो गया है। एमएसएमई को अब सिर्फ़ निवेश की राशि और वार्षिक टर्नओवर के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। नई परिभाषा के अनुसार, एमएसएमई के तीन वर्ग हैं:
सूक्ष्म उद्योग: वे उद्योग जिनमें रु. 1 करोड़ से कम का निवेश किया गया है और जिनका वार्षिक टर्नओवर रु. 5 करोड़ से कम है।
लघु उद्योग: वे उद्योग जिनमें रु. 10 करोड़ से कम का निवेश किया गया है और जिनका वार्षिक टर्नओवर रु. 50 करोड़ तक है।
मध्यम उद्योग: वे उद्योग जिनमें रु. 50 करोड़ से कम का निवेश किया गया है और जिनका वार्षिक टर्नओवर रु. 250 करोड़ तक है।
कोटक बैंक छोटे, मध्यम या बड़े उद्यमों के लिए रु. 3 लाख से रु. 1 करोड़ तक का बिज़नेस लोन प्रदान करता है।
एमएसएमई का महत्व
भारत में एमएसएमई बहुत ज़रूरी हैं। ये छोटे और मध्यम स्तर के उद्यम देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी के समान हैं। ये न सिर्फ़ रोज़गार के अवसर पैदा करते हैं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में भी योगदान करते हैं। आइए एमएसएमई के महत्व को विस्तार से समझते हैं:
रोज़गार सृजन: एमएसएमई भारत में सबसे ज़्यादा रोज़गार सृजन करते हैं। ख़ास तौर से ग्रामीण क्षेत्रों में, जहाँ बड़े पैमाने पर रोज़गार के अवसर सीमित हैं, वहाँ एमएसएमई स्थानीय लोगों को रोज़गार प्रदान करते हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में आय बढ़ती है और गरीबी कम होती है।
आर्थिक विकास: एमएसएमई देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में ज़रूरी योगदान देते हैं। ये उत्पादन और सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करते हैं, जिससे देश की अर्थव्यवस्था मज़बूत होती है। एमएसएमई न सिर्फ़ घरेलू बाज़ार में बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में भी अपना योगदान देते हैं।
निर्यात: एमएसएमई देश के कुल निर्यात में ज़रूरी योगदान देते हैं। ये विभिन्न प्रकार के उत्पादों का निर्यात करते हैं, जिससे देश की विदेशी मुद्रा अर्जित होती है।
नवीनता: एमएसएमई नए उत्पादों और सेवाओं को विकसित करने में अग्रणी भूमिका निभाते हैं। ये छोटे उद्यम बड़े उद्योगों की तुलना में ज़्यादा लचीले होते हैं और नए विचारों को अपनाने में तेज़ी से काम करते हैं।
समावेशी विकास: एमएसएमई सभी वर्गों के लोगों को रोज़गार और आय के अवसर प्रदान करते हैं। ये छोटे उद्यम महिलाओं, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लोगों को भी रोज़गार देते हैं, जिससे समाज में समानता लाने में मदद मिलती है।
स्थानीय अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाना: एमएसएमई स्थानीय स्तर पर कच्चे माल का इस्तेमाल करते हैं और स्थानीय कारीगरों को रोज़गार देते हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाने में मदद मिलती है।
सरकारी नीतियों का समर्थन: सरकार एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियां और योजनाएं चला रही है। इन नीतियों का उद्देश्य एमएसएमई को वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण और बाज़ार तक पहुँच प्रदान करना है।
भारत में एमएसएमई की अनुमानित सँख्या
आइए जानते हैं कि भारत के विभिन्न क्षेत्रों में एमएसएमई की अनुमानित सँख्या क्या है:
गतिविधि श्रेणी/सेक्टर
उद्यमों की अनुमानित सँख्या (लाख में)
शेयर
विनिर्माण
196.65
31%
व्यापार
230.35
36%
सेवाएं
206.85
33%
कुल
633.88
100%
भारतीय अर्थव्यवस्था में एमएसएमई की भूमिका
एमएसएमई भारत की अर्थव्यवस्था में एक ज़रूरी भूमिका निभाते हैं। ये न सिर्फ़ रोज़गार सृजन करते हैं बल्कि देश के विकास में भी योगदान देते हैं। 1961 में, लघु उद्योग मंत्रालय और कृषि और ग्रामीण उद्योग मंत्रालय को मिलाकर, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई मंत्रालय) का गठन किया गया था। एमएसएमई मंत्रालय का मुख्य उद्देश्य देश में छोटे उद्योगों को बढ़ावा देना और उन्हें मदद करना है।
एमएसएमई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों के लिए कई तरह के उत्पादों का उत्पादन और निर्माण करते हैं। एमएसएमई संबंधित मंत्रालयों, राज्य सरकारों और स्टेकहोल्डर की मदद से खादी, ग्राम और कॉयर उद्योगों के विकास में भी मदद करते हैं।
देश की अर्थव्यवस्था में एमएसएमई का योगदान
आइए जानते हैं कि भारत में विभिन्न सालों में एमएसएमई का क्या योगदान रहा है:
साल
एमएसएमई जीवीए (करोड़ रु. में)
जीवीए में एमएसएमई की हिस्सेदारी (%)
कुल जीडीपी (करोड़ रु. में)
जीडीपी में एमएसएमई की हिस्सेदारी (%)
2011-12
2622574
32.35
8106946
30
2012-13
3020528
32.82
9202692
30.40
2013-14
3389922
32.71
10363153
30.20
2014-15
3704956
32.21
11504279
29.70
2015-16
4025595
32.03
12566646
29.20
2016-17
4405753
31.83
13841591
28.90
इस सारणी से यह निष्कर्ष निकलता है की एमएसएमई ने 11 करोड़ से ज़्यादा लोगों को रोज़गार दिया है, जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ज़रूरी है। इसका जीडीपी में योगदान लगभग 30% है, जो इसे भारतीय अर्थव्यवस्था का एक ज़रूरी स्तंभ बनाता है। यह नवाचार को बढ़ावा देता है और छोटे व्यवसायों के लिए नए उत्पादों और सेवाओं को पेश करना आसान बनाता है। इस प्रकार, एमएसएमई का योगदान भारत की आर्थिक संरचना में ज़रूरी है, और इसके विकास के लिए निरंतर प्रयास ज़रूरी हैं।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) भारत की अर्थव्यवस्था का एक ज़रूरी हिस्सा है। ये उद्यम उत्पादों और सेवाओं की आपूर्ति श्रृंखला में ज़रूरी भूमिका निभाते हैं। एमएसएमई रोज़गार के प्रमुख स्रोत हैं और ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में रोज़गार और औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देते हैं। अगस्त 2021 तक के आधिकारिक आँकड़े बताते हैं की भारत में करीब 6.3 करोड़ एमएसएमई हैं, जो करोड़ों श्रमिकों को रोज़गार प्रदान करते हैं।
आइए इस लेख में, हम एमएसएमई के महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं।
एमएसएमई क्या है?
एमएसएमई का पूरा नाम सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम है। यह वो छोटे और मध्यम स्तर के व्यवसाय होते हैं जिनका प्रबंधन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार, द्वारा किया जाता है। ये भारत की अर्थव्यवस्था में ज़रूरी योगदान करते हैं, क्योंकि ये न सिर्फ़ रोज़गार के अवसर पैदा करते हैं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों के कारक हैं। एमएसएमई न सिर्फ़ उद्यमियों को व्यापार बढ़ाने का अवसर प्रदान करते हैं बल्कि देश के आर्थिक विकास में भी ज़रूरी भूमिका निभाते हैं। ये विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि विनिर्माण, सेवाएं और व्यापार में काम करते हैं और देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में ज़रूरी योगदान देते हैं।
सरल शब्दों में कहें तो, एमएसएमई वे छोटे व्यवसाय हैं जो देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाने में ज़रूरी भूमिका निभाते हैं।
एमएसएमई की नई परिभाषा
एमएसएमई की नई परिभाषा के अनुसार, विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के उद्योगों के लिए निवेश की राशि और वार्षिक टर्नओवर समान कर दिया गया है। इससे अब इन दोनों क्षेत्रों के बीच का अंतर ख़त्म हो गया है। एमएसएमई को अब सिर्फ़ निवेश की राशि और वार्षिक टर्नओवर के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। नई परिभाषा के अनुसार, एमएसएमई के तीन वर्ग हैं:
कोटक बैंक छोटे, मध्यम या बड़े उद्यमों के लिए रु. 3 लाख से रु. 1 करोड़ तक का बिज़नेस लोन प्रदान करता है।
एमएसएमई का महत्व
भारत में एमएसएमई बहुत ज़रूरी हैं। ये छोटे और मध्यम स्तर के उद्यम देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी के समान हैं। ये न सिर्फ़ रोज़गार के अवसर पैदा करते हैं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में भी योगदान करते हैं। आइए एमएसएमई के महत्व को विस्तार से समझते हैं:
भारत में एमएसएमई की अनुमानित सँख्या
आइए जानते हैं कि भारत के विभिन्न क्षेत्रों में एमएसएमई की अनुमानित सँख्या क्या है:
भारतीय अर्थव्यवस्था में एमएसएमई की भूमिका
एमएसएमई भारत की अर्थव्यवस्था में एक ज़रूरी भूमिका निभाते हैं। ये न सिर्फ़ रोज़गार सृजन करते हैं बल्कि देश के विकास में भी योगदान देते हैं। 1961 में, लघु उद्योग मंत्रालय और कृषि और ग्रामीण उद्योग मंत्रालय को मिलाकर, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई मंत्रालय) का गठन किया गया था। एमएसएमई मंत्रालय का मुख्य उद्देश्य देश में छोटे उद्योगों को बढ़ावा देना और उन्हें मदद करना है।
एमएसएमई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों के लिए कई तरह के उत्पादों का उत्पादन और निर्माण करते हैं। एमएसएमई संबंधित मंत्रालयों, राज्य सरकारों और स्टेकहोल्डर की मदद से खादी, ग्राम और कॉयर उद्योगों के विकास में भी मदद करते हैं।
देश की अर्थव्यवस्था में एमएसएमई का योगदान
आइए जानते हैं कि भारत में विभिन्न सालों में एमएसएमई का क्या योगदान रहा है:
इस सारणी से यह निष्कर्ष निकलता है की एमएसएमई ने 11 करोड़ से ज़्यादा लोगों को रोज़गार दिया है, जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ज़रूरी है। इसका जीडीपी में योगदान लगभग 30% है, जो इसे भारतीय अर्थव्यवस्था का एक ज़रूरी स्तंभ बनाता है। यह नवाचार को बढ़ावा देता है और छोटे व्यवसायों के लिए नए उत्पादों और सेवाओं को पेश करना आसान बनाता है। इस प्रकार, एमएसएमई का योगदान भारत की आर्थिक संरचना में ज़रूरी है, और इसके विकास के लिए निरंतर प्रयास ज़रूरी हैं।
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