आप अपने दैनिक जीवन में जो भी खर्च करते हैं, उसमें जीएसटी जुड़ा होता है। जीएसटी का मतलब वस्तु एवं सेवा कर है, एक ऐसा टैक्स है जो वस्तुओं और सेवाओं पर एक ही दर से लगता है। जीएसटी में 5%, 12%, 18% और 28% जैसे अलग-अलग स्लैब में वस्तुओं को वर्गीकृत किया जाता है, जिससे हर खरीद पर आप कितना टैक्स चुकाएंगे, ये निर्धारित होता है। इन स्लैब को समझना ज़रूरी है, क्योंकि इससे न सिर्फ़ आप अपने बजट को संभाल सकते हैं, बल्कि गलत बिल या धोखाधड़ी से भी बच सकते हैं। आइए, जीएसटी और उसके स्लैब के बारे में विस्तार से जानते हैं!
अंतिम जीएसटी दर स्लैब क्या हैं?
भारत में जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) चार मुख्य दर स्लैब के साथ लागू किया गया है, जो विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होते हैं। ये स्लैब आवश्यक वस्तुओं पर कम कर और लक्ज़री वस्तुओं पर अधिक टैक्स लगाने का काम करते हैं। तो, चलिए इनके बारे में संक्षेप में जानते हैं:
मुख्य दर स्लैब:
0%: मूल वस्तुओं, जैसे कि दूध, अनाज, फल और सब्जियों पर कोई जीएसटी नहीं लगता।
5%: दैनिक उपयोग की कुछ आवश्यक वस्तुओं, जैसे कि बिजली, माचिस, ब्रेड और कुछ अन्य वस्तुओं पर 5% जीएसटी लगता है।
12%: अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं पर 12% जीएसटी लगता है, जैसे कि रेस्टोरेंट में बिना शराब के भोजन, कपड़े, मोबाइल फोन, साबुन और टूथपेस्ट।
18%: अधिकांश इलेक्ट्रॉनिक, होटल, पेंट, जूते (500 रुपये से अधिक) और कई सेवाओं पर 18% जीएसटी लगता है।
28%: लक्सरी वस्तुओं, जैसे कि सिगरेट, पान मसाला, महंगे वाहन, और कुछ सेवाओं पर 28% तक जीएसटी दर लागू होती है।
अतिरिक्त दर स्लैब:
3%: कुछ विशिष्ट वस्तुओं, जैसे कि सोने और चाँदी के आभूषणों पर 3% की रियायती दर लागू होती है।
0.25%: कुछ रत्न और अर्ध-रत्न पर 0.25% की मामूली दर लगती है।
ध्यान दें: ये स्लैब कुछ परिवर्तन के अधीन हैं, क्योंकि जीएसटी काउंसिल समय-समय पर कुछ वस्तुओं की दरों में संशोधन करती रहती है। किसी विशिष्ट वस्तु या सेवा पर लागू होने वाले दर स्लैब की जाँच करने के लिए, आप जीएसटी पोर्टल या किसी कर सलाहकार से संपर्क कर सकते हैं।
छूट प्राप्त जीएसटी दर स्लैब (कोई कर नहीं)
जीएसटी कर व्यवस्था में कुछ वस्तुओं और सेवाओं को कर से पूर्णतः मुक्त रखा गया है। इसका अर्थ है कि इन वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति पर कोई जीएसटी नहीं देना होता है। यह छूट का सबसे उचित स्लैब है। आइए, इस स्लैब के अंतर्गत आने वाली प्रमुख वस्तुओं और सेवाओं को समझते हैं:
कृषि उत्पाद: ताजी सब्ज़ियाँ, फल, अनाज, दाल, दूध, अंडे इत्यादि।
खाद्य तेल: सरसों का तेल, सोयाबीन तेल, सूरजमुखी तेल, मूँगफली तेल इत्यादि।
शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं: स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, स्वास्थ्य जांच, इलाज इत्यादि।
बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं: बैंक खाते, जमा, निकासी, ऋण, बीमा इत्यादि।
डाक सेवाएं: पत्र, पार्सल, टिकट इत्यादि।
धार्मिक सेवाएं: मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, चर्च इत्यादि में धार्मिक कार्य।
सार्वजनिक परिवहन: बस, ट्रेन, मेट्रो, हवाई जहाज द्वारा यात्री परिवहन।
हस्तशिल्प: हस्त निर्मित वस्तुएं जैसे हैंडलूम कपड़े, मिट्टी के बर्तन, लकड़ी के खिलौने इत्यादि।
अन्य: किताबें, समाचार पत्र, खादी के कपड़े, चंदन की लकड़ी, राष्ट्रीय ध्वज इत्यादि।
ध्यान दें: जीएसटी में छूट प्राप्त वस्तुओं और सेवाओं की सूची समय-समय पर सरकार द्वारा बदली जा सकती है। अतः यह सलाह दी जाती है कि ताजा जानकारी के लिए जीएसटी के आधिकारिक स्रोतों से संपर्क करें।
कुछ अन्य वस्तुएं जो महंगी हो जाएंगी उनमें ये भी शामिल हैं:
महंगाई एक आर्थिक घटना है जिस पर कई कारक प्रभाव डालते हैं। इन कारकों में कच्चे माल की कीमतें, उत्पादन लागत, माँग और आपूर्ति शामिल हैं। महंगाई से आम लोगों की जेब पर भारी असर पड़ता है। आइए उन वस्तुओं के बारे में विस्तार से जानते हैं जो जीएसटी के अंतर्गत आते ही महंगी हो जायेंगी:
ईंधन: कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण, ईंधन की कीमतें बढ़ने की संभावना है। इससे पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस और अन्य ईंधन-आधारित वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी।
खाद्य पदार्थ: खाद्य पदार्थों की कीमतें भी बढ़ने की संभावना है। इसका कारण कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि, जैसे कि अनाज, तेल और चीनी। इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन से कृषि उत्पादन पर दबाव पड़ सकता है, जिससे खाद्य पदार्थों की कीमतें और भी बढ़ सकती हैं।
निर्माण सामग्री: निर्माण सामग्री की कीमतें भी बढ़ने की संभावना है। इसका कारण कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि हो जाएगी, जैसे कि स्टील, लकड़ी और सीमेंट। इसके अलावा, निर्माण श्रमिकों की मजदूरी में वृद्धि से भी निर्माण सामग्री की कीमतें बढ़ सकती हैं।
आप अपने दैनिक जीवन में जो भी खर्च करते हैं, उसमें जीएसटी जुड़ा होता है। जीएसटी का मतलब वस्तु एवं सेवा कर है, एक ऐसा टैक्स है जो वस्तुओं और सेवाओं पर एक ही दर से लगता है। जीएसटी में 5%, 12%, 18% और 28% जैसे अलग-अलग स्लैब में वस्तुओं को वर्गीकृत किया जाता है, जिससे हर खरीद पर आप कितना टैक्स चुकाएंगे, ये निर्धारित होता है। इन स्लैब को समझना ज़रूरी है, क्योंकि इससे न सिर्फ़ आप अपने बजट को संभाल सकते हैं, बल्कि गलत बिल या धोखाधड़ी से भी बच सकते हैं। आइए, जीएसटी और उसके स्लैब के बारे में विस्तार से जानते हैं!
अंतिम जीएसटी दर स्लैब क्या हैं?
भारत में जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) चार मुख्य दर स्लैब के साथ लागू किया गया है, जो विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होते हैं। ये स्लैब आवश्यक वस्तुओं पर कम कर और लक्ज़री वस्तुओं पर अधिक टैक्स लगाने का काम करते हैं। तो, चलिए इनके बारे में संक्षेप में जानते हैं:
मुख्य दर स्लैब:
अतिरिक्त दर स्लैब:
ध्यान दें: ये स्लैब कुछ परिवर्तन के अधीन हैं, क्योंकि जीएसटी काउंसिल समय-समय पर कुछ वस्तुओं की दरों में संशोधन करती रहती है। किसी विशिष्ट वस्तु या सेवा पर लागू होने वाले दर स्लैब की जाँच करने के लिए, आप जीएसटी पोर्टल या किसी कर सलाहकार से संपर्क कर सकते हैं।
छूट प्राप्त जीएसटी दर स्लैब (कोई कर नहीं)
जीएसटी कर व्यवस्था में कुछ वस्तुओं और सेवाओं को कर से पूर्णतः मुक्त रखा गया है। इसका अर्थ है कि इन वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति पर कोई जीएसटी नहीं देना होता है। यह छूट का सबसे उचित स्लैब है। आइए, इस स्लैब के अंतर्गत आने वाली प्रमुख वस्तुओं और सेवाओं को समझते हैं:
ध्यान दें: जीएसटी में छूट प्राप्त वस्तुओं और सेवाओं की सूची समय-समय पर सरकार द्वारा बदली जा सकती है। अतः यह सलाह दी जाती है कि ताजा जानकारी के लिए जीएसटी के आधिकारिक स्रोतों से संपर्क करें।
कुछ अन्य वस्तुएं जो महंगी हो जाएंगी उनमें ये भी शामिल हैं:
महंगाई एक आर्थिक घटना है जिस पर कई कारक प्रभाव डालते हैं। इन कारकों में कच्चे माल की कीमतें, उत्पादन लागत, माँग और आपूर्ति शामिल हैं। महंगाई से आम लोगों की जेब पर भारी असर पड़ता है। आइए उन वस्तुओं के बारे में विस्तार से जानते हैं जो जीएसटी के अंतर्गत आते ही महंगी हो जायेंगी:
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