भारत में कारोबारी माहौल और छोटे व्यवसायों पर जीएसटी (GST) का प्रभाव
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जीएसटी एक अप्रत्यक्ष कर है जो 1 जुलाई 2017 को लागू हुआ था। यह एक ऐतिहासिक कर सुधार है जिसने भारत में अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था को सरल बनाया है। जीएसटी के तहत, कई अप्रत्यक्ष करों को मिलाकर एक कर में मिला दिया गया है। आइए इस लेख में, हम यह जानते हैं कि जीएसटी आपके व्यक्तिगत वित्त पर क्या प्रभाव डालता है व आपके व्यवसाय और व्यक्तिगत वित्त को कैसे प्रभावित कर सकता है।

यहाँ उन उत्पादों और सेवाओं की सूची दी गई है जिनका आपके मासिक खर्चों पर सीधा प्रभाव पड़ेगा

जीएसटी ने निम्नलिखित दैनिक आवश्यक वस्तुओं पर करों को कम कर दिया है, जिससे छोटे व्यवसायों और उपभोक्ताओं दोनों को उनके मासिक खर्चों पर सीधा लाभ हुआ है:

  • किराना: चावल, दाल, आटा, दूध, फल, सब्जियां, मसाले, और अन्य खाद्य पदार्थों पर जीएसटी 0% या 5% है।
  • घरेलू सामान: साबुन, डिटर्जेंट, टूथपेस्ट, शैम्पू, तेल, और अन्य घरेलू सामानों पर जीएसटी 12% या 18% है।
  • कपड़े: कपड़ों पर जीएसटी 5% या 12% है, जो कपड़े के प्रकार और मूल्य पर निर्भर करता है।

दूरसंचार सेवाएँ

जीएसटी ने भारत में दूरसंचार सेवाओं पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं पर अब 18% जीएसटी लागू होता है। यह बदलाव छोटे व्यवसायों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे इन सेवाओं का व्यापक रूप से उपयोग करते हैं। इस कर प्रणाली के कारण दूरसंचार कंपनियों को अपनी बिलिंग संरचना में बदलाव करना पड़ा है। अब उन्हें बिल में जीएसटी की राशि अलग से दिखानी होती है।

शिक्षा

हालांकि शिक्षा क्षेत्र को जीएसटी के तहत छूट दी गई है, लेकिन स्कूल और कॉलेज की फ़ीस अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो सकती हैं। स्टेशनरी जैसे स्टेपलर, पेंसिल, शार्पनर, एक्सरसाइज़ बुक और बॉल पेन पर 12% जीएसटी लगाया गया है, जबकि स्कूल बैग, फाउंटेन पेन, निब और रिफ़िल पर 18% जीएसटी लगता है। इसके अलावा, कोचिंग शुल्क पर लगने वाला कर 15% से बढ़ाकर 18% कर दिया गया है।

इसका मतलब है कि स्कूलों और कॉलेजों को इन लागतों को पारित करना पड़ सकता है, जिससे फ़ीस में वृद्धि हो सकती है। हालांकि, यह वृद्धि कितनी होगी यह स्कूल या कॉलेज के विशिष्ट खर्चों पर निर्भर करेगा।

कुल मिलाकर, जीएसटी का शिक्षा क्षेत्र पर सीधा प्रभाव नहीं पड़ता है, लेकिन यह स्कूल और कॉलेज की फ़ीस को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है।

वित्तीय सेवाएं

जीएसटी ने बैंकिंग और फाइनेंस को जरा महंगा बना दिया है। पहले 15% लगने वाले फ़ंड ट्रांसफर को बढ़ा कर, जीएसटी के तहत 18% कर दिया गया है।

छोटे कारोबार को निवेश और बचत पर भी ध्यान देना होगा। जीएसटी से कुछ निवेश प्रोडक्ट्स पर टैक्स बढ़ गया है, जबकि कुछ पर घट गया है। इसलिए, सही फ़ैसला लेने के लिए थोड़ा रिसर्च ज़रूरी है।

व्यक्तिगत देखभाल और कपड़े

जीएसटी ने निजी देखभाल को आसान बना दिया है। साबुन, तेल, डिटर्जेंट, काजल, टिशू और टूथपेस्ट जैसे उत्पादों पर अब 24-28% की जगह 18% जीएसटी लगता है। रेशम और जूट पर टैक्स ख़त्म! रु.1000 से कम के कपड़ों पर 5% और रु. 500 से कम के जूतों पर भी सिर्फ़ 5% जीएसटी। लेकिन बैंक के लेन-देन थोड़े महंगे हुए हैं, अब 18% जीएसटी देना होगा।

दवाइयाँ

जीएसटी से ज़्यादातर दवाओं पर बहुत फ़र्क नहीं पड़ा है। पहले, कई ज़रूरी दवाओं पर 5% कर लगता था। अब ये सभी 5% जीएसटी स्लैब में आ गई हैं, जिससे दाम थोड़े बढ़े हैं। साथ ही, दवा बनाने में लगने वाले सामान पर 12% और तैयार दवाओं पर 18% जीएसटी लगेगा। हालांकि, गंभीर बीमारियों की दवाओं पर अब भी सिर्फ़ 5% कर है।

मनोरंजन और आराम

मनोरंजन और आराम के क्षेत्र में, जीएसटी का प्रभाव मिश्रित रहा है। कुछ क्षेत्रों में, जैसे कि संगीत कार्यक्रमों, कार्यक्रमों और मनोरंजन पार्कों के लिए टिकट, जीएसटी ने कीमतों में वृद्धि की है। यह छोटे व्यवसायों के लिए एक चुनौती हो गयी है, क्योंकि उन्हें ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण बनाए रखने की आवश्यकता होती है।

अन्य क्षेत्रों में, जैसे कि रेस्तरां और होटल, जीएसटी का प्रभाव अधिक सकारात्मक रहा है। जीएसटी ने इन क्षेत्रों में कर अनुपालन को सरल बनाया है, जिससे छोटे व्यवसायों के लिए काम करना आसान हो गया है।

रेस्टोरेंट

जीएसटी ने रेस्टोरेंट के बिल को थोड़ा बदल दिया है। छोटे ढाबों पर 5% या 12% जीएसटी लगता है, जबकि एसी वाले रेस्टोरेंट या बार पर 18% या 28% जीएसटी लगता है। इससे खाने-पीने का ख़र्च थोड़ा बढ़ गया है, खासकर महंगे रेस्टोरेंट में। फ़ूड डिलीवरी पर भी जीएसटी लगता है, जो आपके कुल बिल को प्रभावित करता है।

सिनेमा की टिकटें

पहले, सिनेमा टिकटों पर अलग सर्विस टैक्स और मनोरंजन कर लगता था (लगभग 30-50%)। जीएसटी के तहत, अब टिकटों पर 28% जीएसटी लगता है। साथ ही, जंक फ़ूड और कोल्ड ड्रिंक्स पर भी अलग से टैक्स है। तो कुल मिलाकर, सिनेमा का मज़ा थोड़ा महँगा हो गया है।

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