किसी भी देश की उन्नति के लिए “ राजस्व” बहुत ही महतवपूर्ण साधन है। यह देश की आर्थिक परिवर्तन और सामाजिक उन्नति का विशाल स्त्रोत है। भारत में दो प्रकार के कर है – प्रत्यक्ष यानि कि डायरेक्ट टैक्स और अप्रत्यक्ष यानि इनडायरेक्ट टैक्स । आइए दोनों को विस्तार से समझें:
डायरेक्टटैक्सक्याहै
यह कर व्यक्तियों और संस्थाओ पर उनकी आय और संपत्ति के आधार पर लगाया जाता है। इसमें आयकर, निगमकर जैसे शुल्क प्रत्यक्ष कर के अंतर्गत आते हैं। यह केंद्रिय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा लागू होते हैं।
डायरेक्ट टैक्सकेप्रकार
डायरेक्ट टैक्स के बारे में जानने के बाद अब हम कुछ अलग-अलग तरह के प्रत्यक्ष कर के बारे में समझेंगे:
डायरेक्ट टैक्स प्रकार
शासी अधिनियम
अवलोकन
आयकर (कंपनियों के अलावा व्यक्ति और संस्थाएं)
आयकर अधिनियम, 1961
यह व्यक्तियों या हिंदू अविभाजित परिवारों (एचयूएफ) या एसोसिएशन ऑफ पर्सन्स (एओपी), बॉडी ऑफ इंडिविजुअल्स (बीओआई), पार्टनरशिप फर्म और एलएलपी जैसे अन्य करदाताओं की आय पर लगाया जाने वाला लेवी (कर) है।
उपरोक्त व्यक्ति को उपलब्ध किसी भी कटौती का लाभ लेने के बाद विभिन्न स्रोतों यानी वेतन, गृह संपत्ति, व्यवसाय, पूंजीगत लाभ, अन्य स्रोतों से अपनी कर योग्य आय का आकलन करना आवश्यक है।
व्यक्ति की आय और उनकी उम्र के आधार पर सरकार द्वारा विभिन्न टैक्स स्लैब दरें अधिसूचित की जाती हैं। आपको निर्धारित दरों के अनुसार कर देनदारी की गणना करनी होती है।
आय का रिटर्न करदाता द्वारा सालाना दाखिल किया जाना आवश्यक है। ऐसा न करने पर जुर्माना लग सकता है।
निगमित कर/ कॉर्पोरेट टैक्स
आयकर अधिनियम, 1961
कॉर्पोरेट टैक्स कंपनियों पर लगाया जाने वाला कर है। कंपनियों को विभिन्न स्रोतों यानी व्यापार, पूंजीगत लाभ आदि से आय का आकलन करने और उसके अनुसार कर योग्य आय की गणना होती है।
ऊपर उल्लिखित शब्द "कंपनियों" में घरेलू और विदेशी दोनों कंपनियां शामिल हैं।
जबकि घरेलू कंपनी पर उसकी विश्वव्यापी आय पर कर लगाया जाता है, विदेशी कंपनी पर भारत में उसके संचालन से होने वाले मुनाफे के संबंध में कर लगाया जाता है।
घरेलू और विदेशी दोनों कंपनियों के लिए करों की विशिष्ट दरें सरकार द्वारा अधिसूचित की जाती हैं।
प्रतिभूति लेनदेन कर ('एसटीटी')
प्रतिभूति लेनदेन कर अधिनियम
एसटीटी एक कर है जो सूचीबद्ध प्रतिभूतियों जैसे इक्विटी शेयर, इक्विटी उन्मुख इकाइयों, वायदा, विकल्प, व्यापार ट्रस्ट की इकाइयों आदि की खरीद और बिक्री पर लगाया जाता है।
लेन-देन के प्रकार के आधार पर खरीदार/विक्रेता द्वारा कर का भुगतान किया जाता है।
डायरेक्ट टैक्सकेलाभ
किसी भी देश के लिए डायरेक्ट टैक्स बेहद लाभदायक है। इसके कुछ लाभ नीचे दिए गए हैं:
डायरेक्ट टैक्स द्वारा हमारे देश को आर्थिक रूप से समृद्ध और सामाजिक संतुलन और एकता को बनाये रखने के लिए व्यक्ति और संस्था के आधार पर संतुलित टैक्स स्लैब लागू होता है। आय के द्वारा बढ़ते हुए भेदभाव को कम करने और सभी के लिए निष्पक्षता बनाये रखने के लिए छुट दी जाती है।
डायरेक्ट टैक्स अत्यधिक प्रगतिशील होते हैं। यह व्यक्तियों के बीच समानता को बनाये रखते हैं। आय उत्पन करने वाले स्त्रोत जितने अधिक होंगे, प्रत्यक्ष कर पर रिटर्न उतना ही अधिक मिलेगा।
यह कर सरकार और भुगतानकर्ता दोनों को चिंता मुक्त करता है। सभी व्यक्तियों को पता होता है की उन्हें कितना भुगतान करना है और सरकार के पास अपना एक ठोस आय का स्त्रोत होता है। इससे दोनों को भविष्य योजना बनाने और भ्रष्टाचार को कम करने मे सहायता मिलती है।
सरकार भविष्य निधि योजनाओ के आधार पर काम करती है। देश की उन्नति के लिए वह एकत्रित धन का उपयोग विभिन्न क्षेत्र में बढ़ावा देने एवं व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उपयोग होती है।
इनडायरेक्ट टैक्स वो टैक्स है जो उत्पादों और सर्विसेज़ पर लगाया जाता है। अब जानते हैं के असल में डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स कर के बीच अंतर क्या है:
पैरामीटर
सीधा कर
अप्रत्यक्ष कर
कर लगाना
करदाता की आय या मुनाफे पर
प्रोडक्टस और सर्विसेज़ पर
भुगतान का क्रम
करदाता सीधे सरकार को कर का भुगतान करता है
करदाता एक मध्यस्थ के माध्यम से सरकार को कर का भुगतान करता है
भुगतान करने वाली संस्था
सभी लोग और व्यवसाय
सभी उपभोक्ता
कर की दर
कर की दर सरकार द्वारा लाभ और आय के आधार पर तय की जाती है
वस्तुओं और सेवाओं के प्रकार के आधार पर कर की दरें सभी के लिए समान हैं
कराधान की प्रकृति
प्रगतिशील
तय
इसके अलावा, आप कोटक महिंद्रा बैंक के माध्यम से अपने टैक्स का भुगतान आसानी से कर सकते हैं। टैक्स भरना आसान हो गया है. बहुत ज्यादा आसान. कोटक के साथ, आप अपने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों जैसे आयकर, जीएसटी और सीमा शुल्क का भुगतान तुरंत और निर्बाध रूप से कर सकते हैं।
किसी भी देश की उन्नति के लिए “ राजस्व” बहुत ही महतवपूर्ण साधन है। यह देश की आर्थिक परिवर्तन और सामाजिक उन्नति का विशाल स्त्रोत है। भारत में दो प्रकार के कर है – प्रत्यक्ष यानि कि डायरेक्ट टैक्स और अप्रत्यक्ष यानि इनडायरेक्ट टैक्स । आइए दोनों को विस्तार से समझें:
डायरेक्ट टैक्स क्या है
यह कर व्यक्तियों और संस्थाओ पर उनकी आय और संपत्ति के आधार पर लगाया जाता है। इसमें आयकर, निगमकर जैसे शुल्क प्रत्यक्ष कर के अंतर्गत आते हैं। यह केंद्रिय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा लागू होते हैं।
डायरेक्ट टैक्स के प्रकार
डायरेक्ट टैक्स के बारे में जानने के बाद अब हम कुछ अलग-अलग तरह के प्रत्यक्ष कर के बारे में समझेंगे:
आयकर (कंपनियों के अलावा व्यक्ति और संस्थाएं)
आयकर अधिनियम, 1961
निगमित कर/ कॉर्पोरेट टैक्स
आयकर अधिनियम, 1961
प्रतिभूति लेनदेन कर ('एसटीटी')
प्रतिभूति लेनदेन कर अधिनियम
डायरेक्ट टैक्स के लाभ
किसी भी देश के लिए डायरेक्ट टैक्स बेहद लाभदायक है। इसके कुछ लाभ नीचे दिए गए हैं:
डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स कर के बीच क्या अंतर हैं?
इनडायरेक्ट टैक्स वो टैक्स है जो उत्पादों और सर्विसेज़ पर लगाया जाता है। अब जानते हैं के असल में डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स कर के बीच अंतर क्या है:
कर लगाना
करदाता की आय या मुनाफे पर
प्रोडक्टस और सर्विसेज़ पर
भुगतान का क्रम
करदाता सीधे सरकार को कर का भुगतान करता है
करदाता एक मध्यस्थ के माध्यम से सरकार को कर का भुगतान करता है
भुगतान करने वाली संस्था
सभी लोग और व्यवसाय
सभी उपभोक्ता
कर की दर
कर की दर सरकार द्वारा लाभ और आय के आधार पर तय की जाती है
वस्तुओं और सेवाओं के प्रकार के आधार पर कर की दरें सभी के लिए समान हैं
कराधान की प्रकृति
प्रगतिशील
तय
इसके अलावा, आप कोटक महिंद्रा बैंक के माध्यम से अपने टैक्स का भुगतान आसानी से कर सकते हैं। टैक्स भरना आसान हो गया है. बहुत ज्यादा आसान. कोटक के साथ, आप अपने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों जैसे आयकर, जीएसटी और सीमा शुल्क का भुगतान तुरंत और निर्बाध रूप से कर सकते हैं।
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