म्यूचुअल फंड पर टैक्स कैसे लगता है? जानें कर लाभ और नियम
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परिचय

बाज़ार में निवेश के बहुत सारे विकल्प उपलब्ध हैं, हालाँकि म्यूचुअल फ़ंड धीरे-धीरे एक लोकप्रिय विकल्प बनता जा रहा है। ये सामूहिक निवेश योजनाएं आपके पैसे को विभिन्न प्रकार की संपत्तियों जैसे स्टॉक और बॉन्ड में लगाती हैं, जिससे कम जोखिम पर बेहतर रिटर्न मिलता है। एक पेशेवर फ़ंड मैनेजर इस फ़ंड को संभालता है, जिससे निवेश का फ़ैसला लेना आसान हो जाता है।

आइए इस लेख में समझते हैं कि म्यूचुअल फ़ंड निवेश पर लगने वाले टैक्स क्या हैं और इससे होने वाली कमाई पर किस तरह से टैक्स लगता है।

म्यूचुअल फ़ंड लाभ पर टैक्स?

आइए म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करने से पहले उसके टैक्स प्रभाव को समझते हैं। इससे आपको यह निर्णय लेने में आसानी होगी कि किस फ़ंड को कितने समय के लिए रखें जिससे बेहतर रिटर्न प्राप्त हो:

  • 1 साल से कम समय के लिए रखे गए निवेश: इक्विटी फ़ंड पर 15% का टैक्स, साथ ही सरचार्ज और 4% सेस लगता है। अन्य स्कीमों पर आपके टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा।
  • 1 साल से ज़्यादा समय के लिए रखे गए निवेश: इक्विटी फ़ंड पर 10% का टैक्स लगेगा। कुछ ख़ास फ़ंड को दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ टैक्स से छूट मिल सकती है। अन्य स्कीमों पर 20% टैक्स लगेगा लेकिन आपको इंडेक्सेशन का फ़ायदा मिलेगा।

डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स?

पहले म्यूचुअल फ़ंड कंपनियां जो डिविडेंड देती थीं, उन पर डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (डीडीटी) लगता था यानी, डिविडेंड देने से पहले ही उस पर टैक्स कट जाता था। इससे निवेशकों के हाथ में कम डिविडेंड आता था। अच्छी खबर यह है कि अप्रैल 1, 2020, से डीडीटी खत्म कर दिया गया है। पहले डिविडेंड पर कोई टैक्स नहीं लगता था, लेकिन अब इसे "अन्य स्रोतों से होने वाली आय" माना जाता है। यानी, निवेशकों को डिविडेंड से अर्जित आय को अपनी टैक्सेबल इनकम में शामिल करना होगा और अपने टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स देना होगा। निवासी यूनिट धारकों को मिलने वाले डिविडेंड में रु. 5,000 से कम की राशि के सोर्स पर टैक्स कटौती (टीडीएस) नहीं होती है। रु. 5,000 से ज़्यादा के डिविडेंड पर निवेशक की टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है, साथ ही एप्लीकेबल सरचार्ज और सेस भी लगता है। टीडीएस होने के बावजूद, आखिरी टैक्स देनदारी आपकी कुल आय और टैक्स स्लैब पर निर्भर करती है। इन नियमों को समझने से निवेशकों को डिविडेंड से होने वाली कमाई पर लगने वाले टैक्स का आकलन और उसका प्रभावी नियोजन करने में मदद मिलती है। 

इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) टैक्स लाभ?

आयकर बचाने के साथ ही, बढ़िया रिटर्न पाना चाहते हैं तो इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) आपके लिए बेहतरीन विकल्प है। म्यूचुअल फ़ंड का एक प्रकार ईएलएसएस है, जिसमें निवेश पर आपको आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत कुल लाभ आय पर रु. 1.5 लाख तक की टैक्स छूट मिलती है। यानी, आप जितना ईएलएसएस में निवेश करते हैं, उतना कम टैक्स भरना पड़ता है। और तो और, लंबे समय के लिए निवेश करने पर इक्विटी पर लगने वाला लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स भी बचता है। एफ़डी या पीपीएफ जैसे अन्य टैक्स बचत विकल्पों के मुकाबले, ईएलएसएस कम लॉक-इन पीरियड में ज़्यादा रिटर्न देता है।

टैक्स दक्षता और योजना रणनीतियाँ?

म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करते समय टैक्स दक्षता महत्वपूर्ण है। आइए टैक्स नियोजन के लिए कुछ महत्त्वपूर्ण रणनीतियों के बारे में जानते हैं:

  • समझदारी से निवेश करें: अगर आप सुनियोजित निवेश करते हैं तो अपने म्यूचुअल फ़ंड निवेश पर लगने वाले टैक्स को कम कर सकते हैं।
  • समय सीमा महत्वपूर्ण है: निवेश को कितनी अवधि तक होल्ड करते हैं, इस पर टैक्स रेट तय होती है।
  • आय, निवेश राशि और समय का ध्यान रखें: सही समय पर सही रकम निवेश करके बचत करें।

निष्कर्ष

म्यूचुअल फ़ंड निवेश के ज़रिये आप अपने वित्तीय लक्ष्यों को पा सकते हैं और टैक्स के फ़ायदे भी उठा सकते हैं। आप सही फ़ंड चुन के और निवेश की अवधि का ध्यान रख के अपने टैक्स दायित्व को कम कर सकते हैं। कोटक महिंद्रा बैंक आपको विभिन्न म्यूचुअल फ़ंड विकल्पों में निवेश करने का प्रावधान देता है ताकि आप अपने सामर्थ्यनुसार अपने वित्त का प्रबंधन कर पाएं। आशा है इस लेख से आपको म्यूचुअल फ़ंड से संबंधित करों के बारे में स्पष्टता मिली होगी। इसके अलावा, बैंक के विशेषज्ञ आपकी सहायता के लिए हमेशा उपलब्ध हैं, जिससे आपका निवेश अनुभव और भी सरल और लाभकारी बन सके।

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