नेट एसेट वैल्यू (NAV) क्या है? अर्थ, गणना, फ़ॉर्मूला, और यह कैसे काम करता है
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एनएवी का मतलब नेट एसेट वैल्यू होता है। यह किसी म्यूचुअल फंड या निवेश फंड की प्रति यूनिट कीमत को दर्शाता है। सरल शब्दों में, यह वह मूल्य है जिस पर आप फंड की यूनिट खरीद या बेच सकते हैं। यह दर्शाता है कि आप उस फंड की एक यूनिट खरीदने या बेचने के लिए कितना भुगतान करेंगे।

सरल शब्दों में कहें तो, एनएवी फंड की आंतरिक मूल्य को दर्शाता है। यह फंड द्वारा धारित सभी संपत्तियों (जैसे शेयर, लोन सर्टिफिकेट, आदि) के बाज़ार मूल्य का योग होता है, जिसे फंड की कुल बकाया इकाइयों की संख्या से विभाजित किया जाता है। एनएवी निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो उन्हें म्यूचुअल फंड और निवेश फंड के मूल्य का आकलन करने में मदद करता है। एनएवी का उपयोग करके, आप बेहतर निवेश निर्णय ले सकते हैं और अपने वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।

नेट एसेट वैल्यू का फॉर्मूला क्या है? (NAV Formula in Hindi)

NAV की मूल्य की गणना करने के लिए आप निम्नलिखित फ़ॉर्मूला का प्रयोग कर सकते है:

NAV = ( कुल निवेशों का मूल्य - वित्तीय लिए हुए कुल व्यय ) / कुल इकाइयों की संख्या

  • कुल निवेशों का मूल्य : इसमें सभी निवेशों की मूल्य शामिल होती है, जो कि फंड में हैं।
  • वित्तीय लिए हुए कुल व्यय : इसमें फंड के सारे व्यय जैसे कि चार्ज और खर्च शामिल होते हैं।
  • कुल इकाइयों की संख्या : फंड की कुल इकाइयों की संख्या को जोड़ होती है।

नेट एसेट वैल्यू (NAV) कैसे काम करता है?

नेट एसेट वैल्यू की गणना करते समय, सभी निवेशों के मूल्य को जमा किया जाता है और उसमें विभिन्न प्रकार के निवेश शामिल होते हैं। इसके बाद, फंड के वित्त के लिए, कुल व्यय को काट दिया जाता है और अन्य आवश्यक व्यय को जोड़ा जाता है। इसके बाद, कुल व्यय को कुल मूल्य से विभाजित किया जाता है ताकि हर इकाई का मूल्य प्राप्त किया जा सके। 

NAV प्रति इकाई दिन-प्रतिदिन बदलता है, और यह निवेशकों को उनके निवेश की स्थिति को समझने में मदद करता है। आप NAV के लिए ऑनलाइन कैलकुलेटरों का उपयोग करके आप आसानी से नेट एसेट वैल्यू को जान सकते हैं।

नेट एसेट वैल्यू (NAV) की गणना कैसे की जाती है?

आप ऊपर दिए गए फ़ॉर्मूला से NAV की गणना करके अपने निवेश की स्थिति को समझ सकते है, जिसके लिए आपको निम्नलिखित चरण का पालन करना होता है:

  1. निवेशों के मूल्य जमा करना : सबसे पहले, आप म्यूचुअल फंड में होने वाले सभी निवेशों के मूल्य, जैसे कि स्टॉक्स और बॉन्ड्स को जमा करें।
  2. वित्त लिए हुए कुल व्यय को घटाएँ: फिर, फंड के वित्त लिए हुए कुल व्यय को घटा दें, जिसमें फंड के प्रबंधन के लिए खर्च और अन्य व्यय शामिल होते हैं।
  3. अन्य आवश्यक व्यय को जोड़ना : फंड के अन्य आवश्यक व्यय को जैसे कि वित्तीय लिए हुए कुल व्यय को जोड़ा जाता है।
  4. कुल व्यय को कुल मूल्य से घटाना : इसके बाद, कुल व्यय को फंड की कुल निवेश के मूल्य से घटा दें।
  5. कुल मूल्य को इकाइयों की संख्या से विभाजित करना: अंत में, आप कुल मूल्य को निवेशकों की कुल इकाइयों की संख्या से विभाजित करें, ताकि हर इकाई का मूल्य प्राप्त किया जा सके।
  6. NAV प्राप्त करना : इस प्रक्रिया के बाद, आप NAV (नेट एसेट वैल्यू) का मूल्य प्राप्त कर सकते हैं, जिससे आप अपने निवेश के मूल्य को जान सकते हैं।

नेट एसेट वैल्यू (NAV) के फ़ायदे और नुकसान क्या है?

नेट एसेट वैल्यू (NAV) म्यूचुअल फंड के लिए महत्वपूर्ण होता है, और इसके कई फ़ायदे और नुकसान हो सकते हैं:

नेट एसेट वैल्यू(एनएवी) के फायदे (Benefits of NAV in Hindi)

  1. निवेश के मूल्य की जानकारी: NAV के माध्यम से आप अपने यह जान सकते हैं कि आपके निवेश की मूल्य कैसे बदल रही है।
  2. निवेश का प्रबंधन: NAV के माध्यम से आप यह भी देख सकते हैं कि म्यूचुअल फंड के मैनेजर कैसे काम कर रहे हैं और क्या वे अच्छे या बुरे नतीजे प्राप्त कर पा रहे हैं।
  3. निवेश के निर्णय : NAV की जानकारी से आप अपने वित्तीय लक्ष्यों के अनुसार म्यूचूअल फंड में निवेश करने या निवेश को निकालने का निर्णय ले सकते हैं।
  4. लिक्विडिटी : NAV के माध्यम से आप जब चाहें अपने निवेश को निकाल सकते हैं, क्योंकि म्यूचुअल फंड की NAV दिन-प्रतिदिन बदलती है।

नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) के नुकसान: (Disadvantages of NAV in Hindi)

  1. मार्केट वोलेटिलिटी : NAV म्यूचुअल फंड की मार्केट मूल्य के साथ बदलती है, जिसका मतलब है कि आपको आप के निवेश की मूल्य में प्रतिदिन बदलाव हो सकता है।
  2. फंड के खर्च : NAV में फंड के व्यय को शामिल किया जाता है, जिससे आपके निवेश की मूल्य में छोटी सी कटौती हो सकती है.
  3. इंफ्लेशन का प्रभाव : अगर इन्फ़्लेशन अधिक हो तो NAV की मूल्य पर आप इस पर व इसके रिटर्न पर असर देख सकते हैं।
  4. लॉक - इन पीरियड : कुछ म्यूचुअल फंड में आप निवेश को एक निश्चित समय के लिए लॉक करना पड़ता है, जिसका मतलब है कि वे उस समय तक अपने पैसे को नहीं निकाल सकते हैं।

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