NPS टियर 1 और टियर 2 में अंतर: जानिए निवेश, लाभ, और टैक्स की जरूरी बातें
NPS टियर 1 और टायर 2 में अंतर क्या है?
नेशनल पेंशन स्कीम (NPS), जिसे अब राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के नाम से जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण वित्तीय योजना है जो भारत सरकार द्वारा चलाई जाती है. इसका मुख्य उद्देश्य भविष्य निधि के लिए सुरक्षित और स्थिर वित्तीय योजनाओं का प्रबंधन करना है। NPS में टियर 1 और टियर 2 दो प्रमुख अकाउंट होते हैं, जो भारतीय नागरिकों को विभिन्न वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विकल्प प्रदान करते हैं।
NPS में टियर 1 और टियर 2 क्या है ?
भारत सरकार द्वारा आपके रिटायरमेंट के लिए प्लानिंग करने के लिए नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) नाम का एक प्रमुख रिटायरमेंट प्लान लागू किया है। इस स्कीम में आपके पैसे लंबे समय तक निवेश किए जाते हैं ताकि आपका रिटायरमेंट और अच्छे से प्लान किया जा सके। हालांकि, इस स्कीम के अंतर्गत टियर 1 और टियर 2 के दो प्रमुख अकाउंट हैं, जिनमें अलग-अलग निवेश और निकासी की शर्तें होती हैं।
NPS टियर 1 और टायर 2 में अंतर
पात्रता : NPS टियर 1 अकाउंट खोलने के लिए आपकी आयु 18 से 70 वर्ष के बीच होनी चाहिए, जबकि टियर 2 को खोलने के लिए आपको पहले से ही टियर 1 का सदस्य होना आवश्यक है।
लॉक - इन अवधि : टियर 1 अकाउंट 60 वर्ष तक चलता है और इसमें आपकी जमा राशि लॉक होती है, जबकि टियर 2 में लॉक-इन अवधि नहीं होती, और आप जब चाहें राशि निकाल सकते हैं।
मिनिमम बैलेंस : टियर 1 के लिए मिनिमम बैलेंस रु. 500 है, जबकि टियर 2 के लिए कोई मिनिमम बैलेंस नहीं होती, आप जितनी राशि चाहें जमा कर सकते हैं।
टैक्स छूट : टियर 1 में निवेश पर आपको इनकम टैक्स छूट की सुविधा मिलती है, जबकि टियर 2 इस छूट को प्रदान नहीं करता है।
वॉलंटरी अकाउंट : टियर 2 एक वॉलंटरी अकाउंट होता है, जिसे आप टियर 1 के पास होने पर खोल सकते हैं, और इसमें आपको निवेश और निकालने में फ्लेक्सिबिलिटी मिलती है।
टियर 1 और टियर 2 के लिए टैक्स लाभ का क्लेम कैसे करें ?
योगदान करें : आपको टैक्स लाभ प्राप्त करने के लिए NPS टियर 1 में नियमित योगदान करना होगा। टियर 1 में न्यूनतम वार्षिक योगदान की राशि रु. 1,000 है।
ट्रांज़ैक्शन स्टेटमेंट प्राप्त करें : योगदान करने के बाद, आपको अपने ट्रांज़ैक्शन स्टेटमेंट को प्राप्त करना होगा, जो आपके निवेश की पुष्टि करेगा।
टैक्स कटौती को क्लैम करे : टैक्स लाभ पाने के लिए, आपको इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फ़ॉर्म के संबंधित सेक्शन में NPS टियर 1 के योगदान का क्लेम करना होगा।
सबमिट करें : टैक्स कटौती का क्लेम करने के बाद, आपको अपने ITR के साथ NPS ट्रांज़ैक्शन स्टेटमेंट को भी सबमिट करना होगा, जिससे टैक्स लाभ प्राप्त हो सके।
अतिरिक्त कटौती : NPS टियर 1 योगदान के तहत सेक्शन 80C और सेक्शन 80CCD (1B) के तहत रु. 50,000 तक की अतिरिक्त कटौती प्रदान करता है, जिससे आपकी टैक्स बचत हो सकती है।
NPS इन्वेस्टमेंट के लिए कौन पात्र है ?
आयु सीमा : NPS में निवेश करने के लिए आपकी आयु 18 से 70 वर्ष के बीच होनी चाहिए। सरकारी कर्मचारियों के लिए यह 60 वर्ष है, और अन्य लोगों के लिए, यह संगठन/कॉर्पोरेट द्वारा परिभाषित सेवानिवृत्ति की आयु पर निर्भर करता है।
पात्रता : भारतीय नागरिक और अनिवासी भारतीय (NRI and OCI) दोनों NPS में निवेश के पात्र हैं, शर्त यह है कि वे RBI और FEMA विनियमों के अनुसार हों।
स्थायी रिटायरमेंट अकाउंट नंबर (PRAN): निवेश करने के लिए आपके पास एक स्थायी रिटायरमेंट अकाउंट नंबर (PRAN) होना चाहिए, जो आपको NPS अकाउंट को खोलने पर दिया जाता है।
निवेश प्रक्रिया : NPS में निवेश करने के लिए आपको अपने बैंक या फिनैंसियल इंस्टीट्यूशन के माध्यम से एक NPS अकाउंट खोलना होगा, जिसके बाद आप निवेश कर सकते हैं।
टैक्स लाभ :NPSमें निवेश करने पर आपको आयकर के कुछ लाभ मिल सकते हैं, जैसे कि सेक्शन 80C और 80CCD के तहत कटौती।
क्या आप टियर 1 और टियर 2 अकाउंट में एक साथ इन्वेस्ट कर सकते हैं ?
आप नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में टियर 1 और टियर 2 अकाउंट में एक साथ निवेश कर सकते हैं। टियर 1 अकाउंट एक रिटायरमेंट प्लान होता है, जिसमें निवेश करने के सख्त नियम होते हैं, जबकि टियर 2 अकाउंट एक वॉलंटरी सेविंग्स अकाउंट होता है, जिसमें निवेश करने की बड़ी फ्लेक्सिबिलिटी होती है।
इसलिए, आप चाहें तो टियर 1 और टियर 2 अकाउंट में एक साथ निवेश करके निम्नलिखित तरीकों से वित्तीय लक्ष्यों को पूरा कर सकते हैं:
अंतर का आधार
NPS टियर 1 अकाउंट
NPS टियर 2 अकाउंट
उद्देश्य
रिटायरमेंट कॉर्पस बनाने और टैक्स लाभ प्राप्त करने के लिए
अधिक इन्वेस्टमेंट की सुविधा और लिक्विडिटी प्रदान करने के लिए
लॉक - इन पीरियड
60 वर्ष की आयु तक, गंभीर बीमारी या मृत्यु जैसी विशिष्ट परिस्थितियों को छोड़कर
कोई लॉक-इन अवधि नहीं, किसी भी समय फंड निकाला जा सकता है
कर लाभ
योगदान इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 80c के तहत टैक्स लाभ के लिए पात्र हैं
योगदान किसी भी टैक्स लाभ के लिए पात्र नहीं है
न्यूनतम इन्वेस्टमेंट
रु. 500 प्रति योगदान और रु. 1,000 प्रति वर्ष
पहले योगदान के लिए रु. 1,000, और बाद के योगदान के लिए रु. 250
अधिकतम निवेश
कोई लिमिट नहीं
कोई लिमिट नहीं
निवेश के विकल्प
इक्विटी इन्वेस्टमेंट पर 75% की सीमा के साथ सीमित इन्वेस्टमेंट विकल्प
इक्विटी इन्वेस्टमेंट पर बिना किसी कैप के सम्पूर्ण इन्वेस्टमेंट विकल्प
भारत सरकार की राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) में टियर 1 और टियर 2 के बीच अंतर को समझें। निवेश, लाभ, और टैक्स से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी यहाँ देखें।
नेशनल पेंशन स्कीम (NPS), जिसे अब राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के नाम से जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण वित्तीय योजना है जो भारत सरकार द्वारा चलाई जाती है. इसका मुख्य उद्देश्य भविष्य निधि के लिए सुरक्षित और स्थिर वित्तीय योजनाओं का प्रबंधन करना है। NPS में टियर 1 और टियर 2 दो प्रमुख अकाउंट होते हैं, जो भारतीय नागरिकों को विभिन्न वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विकल्प प्रदान करते हैं।
NPS में टियर 1 और टियर 2 क्या है ?
भारत सरकार द्वारा आपके रिटायरमेंट के लिए प्लानिंग करने के लिए नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) नाम का एक प्रमुख रिटायरमेंट प्लान लागू किया है। इस स्कीम में आपके पैसे लंबे समय तक निवेश किए जाते हैं ताकि आपका रिटायरमेंट और अच्छे से प्लान किया जा सके। हालांकि, इस स्कीम के अंतर्गत टियर 1 और टियर 2 के दो प्रमुख अकाउंट हैं, जिनमें अलग-अलग निवेश और निकासी की शर्तें होती हैं।
NPS टियर 1 और टायर 2 में अंतर
टियर 1 और टियर 2 के लिए टैक्स लाभ का क्लेम कैसे करें ?
NPS इन्वेस्टमेंट के लिए कौन पात्र है ?
क्या आप टियर 1 और टियर 2 अकाउंट में एक साथ इन्वेस्ट कर सकते हैं ?
आप नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में टियर 1 और टियर 2 अकाउंट में एक साथ निवेश कर सकते हैं। टियर 1 अकाउंट एक रिटायरमेंट प्लान होता है, जिसमें निवेश करने के सख्त नियम होते हैं, जबकि टियर 2 अकाउंट एक वॉलंटरी सेविंग्स अकाउंट होता है, जिसमें निवेश करने की बड़ी फ्लेक्सिबिलिटी होती है।
इसलिए, आप चाहें तो टियर 1 और टियर 2 अकाउंट में एक साथ निवेश करके निम्नलिखित तरीकों से वित्तीय लक्ष्यों को पूरा कर सकते हैं:
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