एस्टेट टैक्स, जिसे कभी-कभी हाउस टैक्स के रूप में भी जाना जाता है, वह टैक्स है जो स्थानीय निकाय (जैसे नगर निगम, पालिका) आपके द्वारा रखी गई एस्टेट पर लगाते हैं। इसमें आपका घर, फ़्लैट या ज़मीन शामिल हो सकती है। एस्टेट टैक्स की गणना आमतौर पर एस्टेट के वर्तमान बाज़ार मूल्य के आधार पर की जाती है। इस टैक्स को इकत्र किए गए धन का उपयोग सड़कों, पार्कों, स्कूलों और अन्य सार्वजनिक सुविधाओं को बनाए रखने और उनमें सुधार करने के लिए किया जाता है।
इनहेरिटेंसटैक्सक्याहोताहै?
इनहेरिटेंस टैक्स, वह टैक्स है जो किसी मृत व्यक्ति से प्राप्त एस्टेट पर लगाया जाता है। टैक्स की राशि इस बात पर निर्भर करती है कि मृतक की एस्टेट किसे मिल रही है और पाने वाले व्यक्ति का मृतक से रिश्ता क्या था। उदाहरण के लिए, पति/पत्नी या बच्चे को इनहेरिटेंस में मिली एस्टेट पर लगने वाला टैक्स, दूर के रिश्तेदार या दोस्त को मिलने वाली एस्टेट पर लगने वाले टैक्स से कम होता है। कुछ मामलों में, टैक्स छूट भी मिल सकती है।
गिफ़्टटैक्सक्याहै?
गिफ़्ट टैक्स एक ऐसा टैक्स है जो किसी एस्टेट को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को देने पर लगता है। हालांकि नाम में "गिफ़्ट" शब्द है, लेकिन लेने वाले व्यक्ति को देने वाले को गिफ़्ट की पूरी कीमत नहीं चुकानी पड़ती। गिफ़्ट टैक्स में, गिफ़्ट देने वाले व्यक्ति को ही टैक्स चुकाना होता है। यह टैक्स उसी मूल्य पर लगता है, जिस पर गिफ़्ट दिया गया है।
एस्टेट, गिफ़्टऔरइनहेरिटेंसटैक्सकेबीचसंबंध
एस्टेट टैक्स, इनहेरिटेंस टैक्स और गिफ़्ट टैक्स, मृत्यु के बाद धन के हस्तांतरण पर लगने वाले विभिन्न प्रकार के टैक्स हैं। आइए हम इन तीनों टैक्स के बीच संबंध को समझते हैं:
एस्टेटटैक्स: यह टैक्स उस एस्टेट के कुल मूल्य पर लगता है जिसे कोई व्यक्ति मृत्यु के बाद छोड़ जाता है। एस्टेट टैक्स का भुगतान एस्टेट के वितरण से पहले किया जाता है, इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि धन किसको दिया जा रहा है।
इनहेरिटेंसटैक्स: यह टैक्स उस व्यक्ति द्वारा भुगतान किया जाता है जो मृतक की एस्टेट प्राप्त करता है। इनहेरिटेंस में मिलने वाली राशि के आधार पर टैक्स की राशि तय होती है और यह रिश्ता भी महत्वपूर्ण होता है (उदाहरण के लिए, पति/पत्नी को इनहेरिटेंस में मिलने पर टैक्स नहीं लग सकता है, जबकि दूर के रिश्तेदार को अधिक टैक्स देना पड़ सकता है)।
गिफ़्टटैक्स: यह टैक्स उस एस्टेट पर लगता है जिसे कोई व्यक्ति अपनी मृत्यु से पहले किसी और को गिफ़्ट के रूप में देता है। गिफ़्ट का उद्देश्य लोगों को मृत्यु से पहले अपनी एस्टेट का अधिकांश हिस्सा हस्तांतरित करके एस्टेट टैक्स से बचने से रोकना है।
इसमें एस्टेट टैक्स, इनहेरिटेंस टैक्स और गिफ़्ट टैक्स शामिल हैं। ये थोड़े मुश्किल लग सकते हैं, लेकिन इनके निम्नलिखित फ़ायदे हैं, जो सरकार को ज़्यादा रेवेन्यू तो नहीं देते, फिर भी ये समाज के लिए फ़ायदेमंद हैं:
धनकासमानवितरण: ये टैक्स धन को कुछ ही लोगों के हाथों में इकट्ठा होने से रोकते हैं, जिससे समाज में धन का समान वितरण होता है।
दानमेंवृद्धि: अमीर लोग टैक्स बचाने के लिए दान में देते हैं, जो समाजिक कार्यों के लिए फ़ायदेमंद है।
आर्थिकअसमानतामेंकमी: इन टैक्स से अमीरी-गरीबी का फ़ासला कम होता है।
टैक्सयोजनाकोप्रोत्साहन: लोग टैक्स बचाने के लिए बचत और सही निवेश की तरफ बढ़ते हैं।
छूट की सुविधा: कई मामलों में कारोबारों और कुछ एस्टेट्स को इन टैक्स से छूट मिल जाती है।
निष्कर्ष
एस्टेट, गिफ़्ट और इनहेरिटेंस टैक्स, सरकार के लिए राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। इनके अलावा, इन टैक्स के समाज पर कई सकारात्मक प्रभाव भी पड़ते हैं। यह टैक्स धन के समान वितरण को बढ़ावा देते हैं, दान को प्रोत्साहित करते हैं, और आर्थिक असमानता को कम करते हैं। इनके कारण लोग बचत और निवेश करते हैं, और कई मामलों में छूट का भी लाभ उठा सकते हैं।
हालांकि, इन टैक्स से जुड़ी कानूनी प्रक्रियाएं लोगों को परेशान कर सकती हैं। इसलिए, यह सलाह दी जाती है कि आप किसी टैक्स विशेषज्ञ से सलाह लें और अपनी एस्टेट, गिफ़्ट और इनहेरिटेंस टैक्स की योजना बनाते समय सभी नियमों का पालन करें।
अक्सरपूछेजानेवालेप्रश्न
भारतमेंइनहेरिटेंसटैक्ससेकैसेबचें?
भारत में, इनहेरिटेंस में प्राप्त एस्टेट पर टैक्स लगता है। हालांकि, कुछ छूटें और रणनीतियां हैं जिनका उपयोग करके आप इस टैक्स को कम कर सकते हैं।
अगरमेरेपासटैक्सदेनेकेलिएपैसेनहींहैंतोक्याहोगा?
यदि आपके पास टैक्स चुकाने के लिए पैसे नहीं हैं, तो आप भारतीय आयकर विभाग से संपर्क कर सकते हैं और भुगतान योजना पर बातचीत कर सकते हैं।
एस्टेट टैक्स क्या है?
एस्टेट टैक्स, जिसे कभी-कभी हाउस टैक्स के रूप में भी जाना जाता है, वह टैक्स है जो स्थानीय निकाय (जैसे नगर निगम, पालिका) आपके द्वारा रखी गई एस्टेट पर लगाते हैं। इसमें आपका घर, फ़्लैट या ज़मीन शामिल हो सकती है। एस्टेट टैक्स की गणना आमतौर पर एस्टेट के वर्तमान बाज़ार मूल्य के आधार पर की जाती है। इस टैक्स को इकत्र किए गए धन का उपयोग सड़कों, पार्कों, स्कूलों और अन्य सार्वजनिक सुविधाओं को बनाए रखने और उनमें सुधार करने के लिए किया जाता है।
इनहेरिटेंस टैक्स क्या होता है?
इनहेरिटेंस टैक्स, वह टैक्स है जो किसी मृत व्यक्ति से प्राप्त एस्टेट पर लगाया जाता है। टैक्स की राशि इस बात पर निर्भर करती है कि मृतक की एस्टेट किसे मिल रही है और पाने वाले व्यक्ति का मृतक से रिश्ता क्या था। उदाहरण के लिए, पति/पत्नी या बच्चे को इनहेरिटेंस में मिली एस्टेट पर लगने वाला टैक्स, दूर के रिश्तेदार या दोस्त को मिलने वाली एस्टेट पर लगने वाले टैक्स से कम होता है। कुछ मामलों में, टैक्स छूट भी मिल सकती है।
गिफ़्ट टैक्स क्या है?
गिफ़्ट टैक्स एक ऐसा टैक्स है जो किसी एस्टेट को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को देने पर लगता है। हालांकि नाम में "गिफ़्ट" शब्द है, लेकिन लेने वाले व्यक्ति को देने वाले को गिफ़्ट की पूरी कीमत नहीं चुकानी पड़ती। गिफ़्ट टैक्स में, गिफ़्ट देने वाले व्यक्ति को ही टैक्स चुकाना होता है। यह टैक्स उसी मूल्य पर लगता है, जिस पर गिफ़्ट दिया गया है।
एस्टेट, गिफ़्ट और इनहेरिटेंस टैक्स के बीच संबंध
एस्टेट टैक्स, इनहेरिटेंस टैक्स और गिफ़्ट टैक्स, मृत्यु के बाद धन के हस्तांतरण पर लगने वाले विभिन्न प्रकार के टैक्स हैं। आइए हम इन तीनों टैक्स के बीच संबंध को समझते हैं:
एस्टेट टैक्स के फ़ायदे: एस्टेट टैक्स, गिफ़्ट टैक्स और इनहेरीटेन्स टैक्स
इसमें एस्टेट टैक्स, इनहेरिटेंस टैक्स और गिफ़्ट टैक्स शामिल हैं। ये थोड़े मुश्किल लग सकते हैं, लेकिन इनके निम्नलिखित फ़ायदे हैं, जो सरकार को ज़्यादा रेवेन्यू तो नहीं देते, फिर भी ये समाज के लिए फ़ायदेमंद हैं:
निष्कर्ष
एस्टेट, गिफ़्ट और इनहेरिटेंस टैक्स, सरकार के लिए राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। इनके अलावा, इन टैक्स के समाज पर कई सकारात्मक प्रभाव भी पड़ते हैं। यह टैक्स धन के समान वितरण को बढ़ावा देते हैं, दान को प्रोत्साहित करते हैं, और आर्थिक असमानता को कम करते हैं। इनके कारण लोग बचत और निवेश करते हैं, और कई मामलों में छूट का भी लाभ उठा सकते हैं।
हालांकि, इन टैक्स से जुड़ी कानूनी प्रक्रियाएं लोगों को परेशान कर सकती हैं। इसलिए, यह सलाह दी जाती है कि आप किसी टैक्स विशेषज्ञ से सलाह लें और अपनी एस्टेट, गिफ़्ट और इनहेरिटेंस टैक्स की योजना बनाते समय सभी नियमों का पालन करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
भारत में, इनहेरिटेंस में प्राप्त एस्टेट पर टैक्स लगता है। हालांकि, कुछ छूटें और रणनीतियां हैं जिनका उपयोग करके आप इस टैक्स को कम कर सकते हैं।
यदि आपके पास टैक्स चुकाने के लिए पैसे नहीं हैं, तो आप भारतीय आयकर विभाग से संपर्क कर सकते हैं और भुगतान योजना पर बातचीत कर सकते हैं।
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